हिंदी दिवस की कविताएं
कविता---प्रार्थना
मन की कल्पनाओं से परे
तुम हो स्थिर ,शाँत ब्रह्म रुप
तुम सागर से गहरे,तुम नीले अंबर से भी अंतहीन
तुम चैन की बंसी बजाते
तुम्ही मुरली मनोहर
ज्ञान भी तुम ज्ञाता भी तुम
तुम ही अपना कारण
हम अज्ञानी मूढमति
कैसे जाने तुम्हारा विज्ञान
हे प्रभु,हे नाथ मेरे
भक्ति मुक्ति का संचार तुम ही
आया हूँ शरण तेरे
दे दो भक्ति का अखंड वरदान
डूब जाऊं मैं उसमें ,अब
नहीं चाहत संसार का
जीवन की नौका का
पतवार बन जाओ गिरधर मेरे..!
**
सीमा..✍️🎈
©®
#हिंदी दिवस प्रतियोगिता
Shashank मणि Yadava 'सनम'
29-Sep-2022 06:41 PM
उत्तम, उत्कृष्ट, सर्वोत्तम,,, मूढ़मति होना चाहिए जी
Reply
Swati chourasia
20-Sep-2022 07:54 PM
बहुत खूब 👌
Reply
आँचल सोनी 'हिया'
20-Sep-2022 05:22 PM
Achha likha hai 💐
Reply